21 Days Lockdown Series Day 1: उम्मीद पे दुनिया कायम है

So here is my poem for the day 25-03-2020


आज सुबह झूले पे बैठे जब मै अपने पौधों को निहार रही थी,
तभी नज़र उस एक कली पे गई जो अभी तक पूरी तरह खिली भी नहीं थी। 

अपने पूरे जोश से दिन प्रतिदिन अपने में ही बड़ रही थी।

पीछे कुछ दिनों में जा के देखा तो याद आया, 

ये उसी बीज में से निकली है जो मैंने अपने ही हाथो से बोया था।

इस नन्ही सी कोपल को देख के दिल मानो जैसे एकदम खिल गया हो।

जैसे मेरा हर पौधा मेरा ही अंग है वैसे ही ये भी उसमें शामिल हो गया है।

आज बाहर जहां दुनिया में बहुत से लोग मर रहे है, 
कोरोना जैसी भयानक माहमारी से पूरा देश लड़ रहा है।

इन सब ना उम्मीदों में ये एक कोपल अपने में ही बड़ी उम्मीद ले के आयी है।

और मैंने ये ठान ली है कि इस उम्मीद को मै संघर्ष करना और जीना सिखाऊंगी, 
इसे आगे बढ़ाने में अपना पूरा ज़ोर लगा दूंगी।

क्युकी किसी ने सही ही कहा है...उम्मीद पे दुनिया कायम है।

ये  उम्मीद कभी न टूटने दूंगी


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