दोस्त (Dost/ Friend)
कल रात को पीपल के पेड़ के नीचे बैठे, बिन मौसम की हवाओं से उड़ते पत्तो की आवाज़ों में जो खनक सुनी वो आज तक हमने सिर्फ तुम्हारी ही आवाज़ में सुनी। जैसे तुम्हारे दिल में दबे घाव तुम्हारे चेहरे की हसी से छुप जाते है। वैसे ही वो पेड़ अपने दुःख अपनी बड़ी फैली शाखाओं में दबाये खड़ा रहा। जहा उसकी भुजाओं में कितने ही लोगों की बातें और आँखों की नमी दबी होगी, वैसे ही जैसे तुम्हारी आँखों में वो नमी देखी पर होंठो पे हर दम एक बड़ी सी मुस्कान। जितनी बड़ी मुस्कान उससे कई बड़ा दिल जो हर गम को पी जाये और किसी को भी देख के ये न लगे की तुम अभी कुछ देर पहले ही अकेले में अपने आंसू पोंछ के आये हो। तुम कहो या न कहो पर तुम्हे एक नज़र देख कर हम ये समझ गए की तुम्हारे दिल और दिमाग में क्या तूफ़ान चल रहा है। ये तूफ़ान ऐसा जो ऊपर से तो शांत है पर अंदर गहरायी में अपने पूरे उबाल पर है जो कभी भी जवालामुखी की तरह फट सकता है। पर तुम अपने इस रूप से खुश नहीं हो और अंदर ही अंदर खुद से जूझते जा रहे हो। तुम्हारी शांत आँखों के आईने मे खुद को देख कर ये सोचते हो की मैं ऐसा क्यों बन गया हु। मैं कब ये सब ठीक कर पाऊंगा और एक ही ज